Best Rahat indori shayari - Rahat indori ki mashoor shayari | Rahat indori Shayari in hindi | Rahat indori Shayri
जनाब राहत इंदौरी (1 January 1950 – 11 August 2020)दोस्तों शेरों -शायरी के शौख रखने वाले ,पढ़ने वाले ,सुनने वाले शायद ही कोई ऐसा होगा जो जनाब राहत इंदौरी के नाम को ना जाने उनकी ख्याती उनकी प्रसिद्धि उनका शायराना अंदाज़ देश में नहीं बाल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है आज के इस ब्लॉग में Rahat indori ki shayari in hindi की बहुत सारी दो लाइन की शायरी के साथ उनकी कुछ फेमस शायरी प्रस्तुत की गयी है उम्मीद करता हु आपलोगो को पढ़ कर अच्छा लगेगा आइये दोस्तों जनाब राहत इंदौरी के शायरी की एक एक मतले को पढ़े !
Rahat Indori Ki Shayari
एक मतला ये है के
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से है, ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अयानत में खयानत हो जाए !!
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सफर की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मजा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे !!
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रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
उसकी याद आई है साँसों, जरा धीरे चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है !!
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बन के एक हादसा बाजार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की क़द्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा !!
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चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है !!
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साँसों की सीढ़ियों से उतर आई जिंदगी
बुझते हुए दिए की तरह जल रहे है हम
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सूखा गयी
है हम भी आफ़ताब, मगर ढल रहे हैं हम !!
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इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे " अल्लाह " मेरी खाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते है खली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाये
साल भर लड़ ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए !!
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इश्क़ में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, ख़ाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अखबार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ !!
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काम सब गैरजरूरी हैं, जो सब करते है
और हम कुछ नहीं करते, अजब करते है
आप की नज़रों में, सूरज की हैं जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं !!
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दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमे चिराग समझ कर बुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफताब रखते हैं !!
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जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पाक रह होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उँगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे !!
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Rahat indori Shayari |
Rahat Indori Shayri
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नहीं
जमीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं !!
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जुबा तो खोल, मज़ार तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में है उतार चढ़ाव
मैं तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे !!
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मुझमे कितने राज है, बतलाऊं क्या
बंद एक मुद्दत से हूँ, खुल जाऊं क्या?
आजिजी, मिन्नत, खुशामद, इल्तजा,
और मैं क्या क्या करूँ, मर जाऊं क्या ?
कल यहां मैं था जहां तुम आज हो
मैं तुम्हारी ही तरह इतराऊं क्या ?
तेरे जलसे में तेरा परचम लिए
सैकड़ों लाशों भी हैं गिनवाऊँ क्या ?
एक पत्थर है वो मेरी राह का,
गर न ठुकवाऊं, तो ठोकर खाऊं क्या ?
फिर जगाया तूने सोये शेर को
फिर वही लहजा दराजी ! आऊं क्या ?
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नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है !!
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ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए
वर्ण मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था !!
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मेरी हुजरे में नहीं और कही पर रख दो,
आसमा लाये हो ले आओ जमी पर रख दो।
अब कहा ढूढ़ने जाओगे हमारे कातिल,
आप तो क़त्ल का इल्जाम हमी पर रख दो।
उसने जिस ताख पर कुछ टूटे दिए रखे है,
चाँद तारो को भी ले जाके वही पर रख दो !!
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जा के कोई कह दे शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से !!
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राहत इंदौरी की शायरी
सरहदों पर तनाव है क्या
जरा पता तो करो चुनाव हैं क्या
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शहर में तो बारूदो का मौसम हैं
गाँव चलो अमरूदों का मौसम है !!
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तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाजार में बैठे है ख़सारा करके,
मैं वो दरिया हूँ की हर बून्द भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके !!
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तुफानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ों, तैर कर दरिया पार करो
फूलो की दुकाने खोलो, खुशबु का व्यापार करो
इश्क़ खता है, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो !!
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लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यही आके फिसलते क्यों है !!
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जवानियों में जवानी को धूल करते है
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते है
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं !!
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उसकी कत्थई आँखों में है जंतर मंतर सब
चाक़ू वाकु, छुरियां वुरियां, खंजर वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठी, मुझ से रूठे रूठे है
चादर वादर , तकिया वाकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वो भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पद गए कपड़े वपड़े, जेवर वेवर सब !!
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अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है।
लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुँह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।
मैं जनता हूँ की दुश्मन भी काम नहीं है,
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है।
आज शाहिबे मनसद है कल नहीं होंगे,
किरायेदार है जात्ती मकान थोड़ी है।
सभी का खून है शामिल इस मिट्टी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है !!
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हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते है।
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी,
जो आंखो में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते है !!
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यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं
हमें कुछ और मत पढ़वाओ, हम कुरान पढ़ते है
यही के सारे मंजर हैं, यही के सारे मौसम हैं
वो अंधे है, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते है !!
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सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है हम
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें !!
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अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं !!
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तेरा नसीब चमकदार कर दिया,
इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया
अफवा थी की मेरी तबियत ख़राब है,
लोगो ने पूछ-पूछ कर बीमार कर दिया।
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ये सहारा जो न हो तो परेशान हो जाए
मुश्किलें जान ही लेले अगर आसान हो जाए
ये कुछ लोग फ़रिश्तो से बने फिरते है
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाये तो इंसान हो जाए !!
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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए !
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सुबह की नई हवाओं की सोभत बिगाड़ देती है,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है।
जो जुर्म करते है वह इतने बुरे नहीं होते,
सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है।
मिलाना चाहा है इंसा को जब भी इंसा से,
तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती है।
हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी,
मिया ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है !!
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इश्क़ ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फुल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए !!
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हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं
आज से हमने तेरा नाम गजल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ''ताजमहल'' रखा है !!
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राहत इंदौरी शायरी
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टुटा है जोड़ दूँगा उसे।
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का ,
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदन,
उसे यी डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे।
पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे।
मजा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे !!
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काम सब गैरजरूरी हैं, जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, गजब करते है
आपक की नज़रों में, सूरज की है जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं !!
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उसे अब के वफाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी !!
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इंतेजाम नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन
जब मजा हैं,तेरे आँगन में उजाला जाएँ !!
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नए सफर का नया इंतजाम कह देंगे
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगें
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे !!
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चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हे,
हमसे मिलना कभी, पंजाब दिखाएंगे तुम्हे।
चाँद हर छत पर है, सूरज है हर आँगन में,
नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हे।
पूछते क्या हो की रुमाल के पीछे क्या है,
फिर किसी रोज ये सैलाब दिखाएंगे तुम्हे !!
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दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतल खोल के तो पि बरसों
आज दिल खोल के पि जाए !!
★★★★★★
लवे दियो की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेज़ाब डालते रहना
मैं नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफ़ताब में कीड़े निकालते रहना !!
★★★★★★
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
नशा वैसे तो बुरी शे है, मगर
'' राहत '' से सुननी हो तो थोड़ी सी पीला भी देना !!
★★★★★★
फैसला जो कुछ भी हो, हमे मंजूर होना चाहिए
जुंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरूरी याद रखने के लिए
पास रहना हैं, तो थोड़ा दूर होना चाहिए !!
★★★★★★
इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया
बातों के तेज़ाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इल्जाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया !!
★★★★★★
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया !!
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मौसम का ख़याल रखा करो
कुछ लहू मै उबाल रखा करो
लाख सूरज से दोस्ताना हो
चंद जुगनू भी पाल रखा करो !!
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आँखों में पानी रखों, होतो पे चिंगारी रखो
जिन्दा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ़ के, कुछ नहीं है मंजिले
रास्ते आवाज देते हैं, सफर जारी रखो !!
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कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते है
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते है
ये कैंचियाँ हमे उड़ने से ख़ाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते है !!
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समंदरों में मुआफ़िक हवा चलाता है
और जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है
ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आए
वो हम नहीं है जिन्हे रास्ता चलाता है
वो पांच वक़्त नज़र आता है नमाज़ों में
मगर सुना है सब को जुआ चलाता है
ये लोग पाँव नहीं जेहन से अपाहिज है
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है
हम अपने बूढ़े चराग़ों पे खूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है !!
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किसने दस्तक़ दी ये दिल पर कौन है
आप तो अंदर है बहार कौन है !!
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कहना है की ग़ुलाब ख़्वाब दवा ज़ेहर जाम क्या क्या है !
मै आ गया हु बता इंतेज़ाम क्या क्या है !!
फ़क़ीर -शाख कलंदर इमाम क्या क्या है !
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है !!
अमीर -ऐ सेहर के कुछ कारोबार याद आए !
मै रात सोच रहा था हाराम क्या क्या है !!
★★★★★★फ़ैसला जो कुछ हो मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क़ हो भरपूर होना चाहिए
भूलना भी है जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है तो थोड़ा दूर होना चाहिए !!
★★★★★★
जवानियों में जवानी को धूल करते है
जो लोग भूल नहीं करते वो भूल करते है !!
★★★★★★
सबकी पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए !
सोचता हु कोई अख़बार निकाला जाए !!
आसमां ही नहीं एक चाँद भी रहता है यहाँ !
भूल कर भी कभी पत्थर ना उछाला जाए!!
★★★★★★
मेरी सांसो में समाया भी बहुत लागता है !
और भी सख्श पराया भी बहुत लगता है !!
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है !
मगर आने जाने में किराया भी बहुत लगता है !!
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सबको रुसवा बारी बारी किया करो !
हर मौसम में फ़तवे जारी किया करो !!
रोज़ वही एक कोशिश जिंदा रहने की !
मरने की भी कुछ तैयारी किया करो !!
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अंधरे चारो तरफ साय -साय करने लगे !
चराग़ हाथ उठा कर दुवाए करने लगे !!
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जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो !
बेहरो का इलाका है जरा जोर से बोलो !!
दिल्ली में हमही बोला करे अमन की बोली !
यारो कभी तुमलोग भी लाहौर से बोलो !!
★★★★★★
कभी अकेले में मिल कर झंझोर दूंगा तुम्हे !
जहा -जहा से वो टुटा है जोड़ दूंगा उसे !!
और मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उसका !
इरादा मैंने किया था छोड़ दूंगा उसे !!
★★★★★★
कस्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया !
इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया !!
दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कीयत तो है !
ऐ -मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया !!
★★★★★★
धन्यवाद !!
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