आचार्य चाणक्य के 30+ प्रसिद्ध सुविचार | Guru Chanakya Ki Baatein | Chanakya Ki bate in hindi- आचार्य चाणक्य
Chanakya niti image |
Chanakya Niti in Hindi
विद्यार्थी को यदि सुख की इच्छा है और
वह परिश्रम करना नहीं चाहता तो उसे
विद्या प्राप्त करने की इच्छा का त्याग
कर देना चाहिए यदि वह विद्या चाहता
है तो उसे सुख - सुविधाओं का त्याग
करना होगा क्योकि सुख चाहने वाला
विद्या प्राप्त नहीं कर सकता ! दूसरी और
विद्या प्राप्त करने वालो को आराम नहीं मिल सकता
वह परिश्रम करना नहीं चाहता तो उसे
विद्या प्राप्त करने की इच्छा का त्याग
कर देना चाहिए यदि वह विद्या चाहता
है तो उसे सुख - सुविधाओं का त्याग
करना होगा क्योकि सुख चाहने वाला
विद्या प्राप्त नहीं कर सकता ! दूसरी और
विद्या प्राप्त करने वालो को आराम नहीं मिल सकता
!! चाणक्य !!
जो बुद्धिमान है, वही बलवान है,
बुद्धिहीन के पास शक्ति नहीं होती। जैसे
जंगले में सबसे अधिक बलवान होने पर
भी सिंह मतवाला खरगोश के द्वारा मारा जाता है।
जो बुद्धिमान है, वही बलवान है,
बुद्धिहीन के पास शक्ति नहीं होती। जैसे
जंगले में सबसे अधिक बलवान होने पर
भी सिंह मतवाला खरगोश के द्वारा मारा जाता है।
!! चाणक्य !!
साग खाने से रोग बढ़ते है ,दूध से शरीर
बलवान होता है, घी से वीर्य {शक्ति }
बढ़ता है और मांस खाने से मांस ही बढ़ता है।
साग खाने से रोग बढ़ते है ,दूध से शरीर
बलवान होता है, घी से वीर्य {शक्ति }
बढ़ता है और मांस खाने से मांस ही बढ़ता है।
!! चाणक्य !!
जो कोई प्रतिदिन पुरे सवंत -भर मौन
रहकर भोजन करते है ,वे हजारो -करोड़ो
युगो तक स्वर्ग में पूजे जाते है।
जो कोई प्रतिदिन पुरे सवंत -भर मौन
रहकर भोजन करते है ,वे हजारो -करोड़ो
युगो तक स्वर्ग में पूजे जाते है।
!! चाणक्य !!
जिनको स्वयं बुद्धि नहीं है, शास्त्र उनके
लिए क्या कर सकता है ? जैसे अंधे के
लिए दर्पण का क्या महत्व है ?
जिनको स्वयं बुद्धि नहीं है, शास्त्र उनके
लिए क्या कर सकता है ? जैसे अंधे के
लिए दर्पण का क्या महत्व है ?
!! चाणक्य !!
बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री ,नीच
कुल की सेवा , बुरा भोजन ,मुर्ख लड़का,
विधवा कन्या,ये छः बिना अग्नि के भी
शरीर को जला देते है।
बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री ,नीच
कुल की सेवा , बुरा भोजन ,मुर्ख लड़का,
विधवा कन्या,ये छः बिना अग्नि के भी
शरीर को जला देते है।
!! चाणक्य !!
तपस्या अकेले में, अध्ययन दो के साथ,
गाना तीन के साथ ,यात्रा चार के साथ ,
खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से
सहायको के साथ होने पर ही उत्तम होता है।
तपस्या अकेले में, अध्ययन दो के साथ,
गाना तीन के साथ ,यात्रा चार के साथ ,
खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से
सहायको के साथ होने पर ही उत्तम होता है।
!! चाणक्य !!
स्त्रियों का गुरु पति है। अथिति सबका
गुरु है। ब्राम्हण, क्षत्रिय और वैश्य का गुरु
अग्नि है तथा चारो वर्णो का गुरु ब्राम्हण है।
स्त्रियों का गुरु पति है। अथिति सबका
गुरु है। ब्राम्हण, क्षत्रिय और वैश्य का गुरु
अग्नि है तथा चारो वर्णो का गुरु ब्राम्हण है।
!! चाणक्य !!
चाणक्य नीति इन हिंदी
Chankya thoughts in hindi |
लम्बे नाख़ून वाले हिंसक पशुओ, नदियों ,
बड़े-बड़े सींग वाले पशुओ, शस्त्रधारियों,
स्त्रियों और राज परिवारों का कभी
विश्वास नहीं करना चाहिए।
!! चाणक्य !!
जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, स्त्री उसके
अनुसार चलने वाली हो, अर्थात पतिव्रता
हो, जो अपने पास धन से संतुष्ट रहता हो,
उसका स्वर्ग यहीं पर है।
जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो, स्त्री उसके
अनुसार चलने वाली हो, अर्थात पतिव्रता
हो, जो अपने पास धन से संतुष्ट रहता हो,
उसका स्वर्ग यहीं पर है।
!! चाणक्य !!
Chanakya Quotes In Hindi
फूलो की सुगंध हवा से केवल उसी दिशा
में महकती है जिस दिशा में हवा चल रही
होती है जबकि इंसान के अच्छे गुणों की
महक चारो दिशाओ में फैलती है।
!! चाणक्य !!
संतुलित दिमाग जैसा कोई सादगी
नहीं, संतोष जैसा कोई सुख नहीं, लोभ
जैसा कोई बीमारी नही और दया जैसा
कोई पुण्य नहीं है।
संतुलित दिमाग जैसा कोई सादगी
नहीं, संतोष जैसा कोई सुख नहीं, लोभ
जैसा कोई बीमारी नही और दया जैसा
कोई पुण्य नहीं है।
!!चाणक्य !!
बहुत बड़ी आयु वाले मुर्ख पुत्र की अपेक्षा
पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है
क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए
ही कष्ट देता है, परन्तु मुर्ख पुत्र जीवनभर
जलाता है।
बहुत बड़ी आयु वाले मुर्ख पुत्र की अपेक्षा
पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है
क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए
ही कष्ट देता है, परन्तु मुर्ख पुत्र जीवनभर
जलाता है।
!! चाणक्य !!
पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है,
पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति
का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य
बोलती है।
पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है,
पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति
का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य
बोलती है।
!! चाणक्य !!
जिसके नाराज होने का डर नहीं है और
प्रसन्न होने से कोई लाभ नहीं है।, जिसमे
दंड देने या दया करने की सामर्थ्य नहीं है,
वह नाराज होकर क्या कर सकता है?
जिसके नाराज होने का डर नहीं है और
प्रसन्न होने से कोई लाभ नहीं है।, जिसमे
दंड देने या दया करने की सामर्थ्य नहीं है,
वह नाराज होकर क्या कर सकता है?
!! चाणक्य !!
प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा
को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग
प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा
को नष्ट नहीं होने देते।
प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा
को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग
प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा
को नष्ट नहीं होने देते।
!! चाणक्य !!
जो माता पिता अपने बच्चो को नहीं
पढ़ाते, वे उनके शत्रु है। ऐसे अनपढ़ बालक
सभा के मध्य में उसी प्रकार सोभा नहीं
पाते,जैसे हंसो के मध्य में बगुला सोभा
नहीं पता।
जो माता पिता अपने बच्चो को नहीं
पढ़ाते, वे उनके शत्रु है। ऐसे अनपढ़ बालक
सभा के मध्य में उसी प्रकार सोभा नहीं
पाते,जैसे हंसो के मध्य में बगुला सोभा
नहीं पता।
!! चाणक्य !!
जहाँ मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां
अन्न भंडार सुरछित रहता है, जहां
पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता,
वहां लक्ष्मी बिना बुलाये ही निवास करती
है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
!! चाणक्य !!
जिस प्रकार घिसने, काटने, आग में
तापने-पीटने ,इस चार उपायों से सोने की
परख की जाती है ,वैसे ही त्याग, शील,
गुण और कर्म, इन चारो से मनुष्य की
पहचान होती है।
जहाँ मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां
अन्न भंडार सुरछित रहता है, जहां
पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता,
वहां लक्ष्मी बिना बुलाये ही निवास करती
है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
!! चाणक्य !!
जिस प्रकार घिसने, काटने, आग में
तापने-पीटने ,इस चार उपायों से सोने की
परख की जाती है ,वैसे ही त्याग, शील,
गुण और कर्म, इन चारो से मनुष्य की
पहचान होती है।
!! चाणक्य !!
Best Chanakya Thoughts In Hindi
बीमारी में, विपत्तिकाल में, अकाल के
समय, दुश्मनो से दुःख पाने या आक्रमण
होने पर, राजदरबार में और शमशान-भूमि
में जो साथ रहता है, वही सच्चा भाई
अथवा बंधू है।
!!चाणक्य !!
पुत्र वो है जो पिता भक्त है। पिता वही है
जो बच्चो का पालन -पोषण करता है।
मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और
स्त्री वही है। जिससे परिवार में सुख- शांति
व्याप्त हो।
पुत्र वो है जो पिता भक्त है। पिता वही है
जो बच्चो का पालन -पोषण करता है।
मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और
स्त्री वही है। जिससे परिवार में सुख- शांति
व्याप्त हो।
!! चाणक्य !!
मित्रता हमेशा बराबर वालो से ही करना
चाहिए अधिक धनि या निर्धन व्यक्ति से
मित्रता कर लेने परे कभी कभी भरपाई
करनी पड़ती है जो कभी भी सुख नहीं
देती है
मित्रता हमेशा बराबर वालो से ही करना
चाहिए अधिक धनि या निर्धन व्यक्ति से
मित्रता कर लेने परे कभी कभी भरपाई
करनी पड़ती है जो कभी भी सुख नहीं
देती है
!! चाणक्य !!
खुद का अपमान करा के जीने से तो
अच्छा है मर जाना क्योंकि प्राणों को
त्यागने से एक ही बार कष्ट होता है पर
अपमानित होकर जिन्दा रहने से बार-बार
कष्ट होता है
खुद का अपमान करा के जीने से तो
अच्छा है मर जाना क्योंकि प्राणों को
त्यागने से एक ही बार कष्ट होता है पर
अपमानित होकर जिन्दा रहने से बार-बार
कष्ट होता है
!! चाणक्य !!
Chanakya Quotes On Motivation In Hindi
जो मेहनती है वो गरीब नहीं हो
सकते है और जो लोग भगवान को हमेशा
याद रखते है उनसे कोई पाप नहीं हो
सकता है क्योंकि दिमाग से जागा हुआ
व्यक्ति हमेशा निडर होता है
!! चाणक्य !!
एक बिगडैल गाय सौ कुतों से भी ज्यादा
श्रेष्ठ है अर्थात एक विपरीत स्वभाव का
परम हितैषी व्यक्ति, उन सौ से श्रेष्ठ है जो
आपकी चापलूसी करते है
एक बिगडैल गाय सौ कुतों से भी ज्यादा
श्रेष्ठ है अर्थात एक विपरीत स्वभाव का
परम हितैषी व्यक्ति, उन सौ से श्रेष्ठ है जो
आपकी चापलूसी करते है
!! चाणक्य !!
यह नश्वर शरीर जब तक निरोग व स्वस्थ
है या जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक
मनुष्य को अपने सभी पुण्य-कर्म कर लेने
चाहिए क्योंकि अंत समय आने पर वह
क्या कर पायेगा।
यह नश्वर शरीर जब तक निरोग व स्वस्थ
है या जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक
मनुष्य को अपने सभी पुण्य-कर्म कर लेने
चाहिए क्योंकि अंत समय आने पर वह
क्या कर पायेगा।
!! चाणक्य !!
बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्य को
बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही
स्थान पर बंधे रखना और स्त्रियों के
साथ पुरुष का समागम न होना और
वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से
बुढ़ापा आ जाता है।
बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्य को
बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही
स्थान पर बंधे रखना और स्त्रियों के
साथ पुरुष का समागम न होना और
वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से
बुढ़ापा आ जाता है।
!! चाणक्य !!
अति सुन्दर होने के कारन सीता का हरण
हुआ, अत्यंत अहंकार के कारण रावण
मारा गया, अत्यधिक दान के कारण राजा
बलि बांधा गया। अतः सभी के लिए अति
ठीक नहीं है। ' अति सर्वथा वर्जयते। ' अति
को सदैव छोड़ देना चाहिए।
अति सुन्दर होने के कारन सीता का हरण
हुआ, अत्यंत अहंकार के कारण रावण
मारा गया, अत्यधिक दान के कारण राजा
बलि बांधा गया। अतः सभी के लिए अति
ठीक नहीं है। ' अति सर्वथा वर्जयते। ' अति
को सदैव छोड़ देना चाहिए।
!! चाणक्य !!
जो मित्र प्रत्यछ रूप से मधुर वचन
बोलता हो और पीठ पीछे अर्थात
अप्रत्यछ रूप से आपके सारे कार्यो में
रोड़ा अटकाता हो, ऐसे मित्र को उस
घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके
भीतर विष भरा हो और ऊपर मुँह के पास
दूध भरा हो।
जो मित्र प्रत्यछ रूप से मधुर वचन
बोलता हो और पीठ पीछे अर्थात
अप्रत्यछ रूप से आपके सारे कार्यो में
रोड़ा अटकाता हो, ऐसे मित्र को उस
घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके
भीतर विष भरा हो और ऊपर मुँह के पास
दूध भरा हो।
!! चाणक्य !!
चाणक्य नीति इन हिंदी
जिसका जिस वस्तु से लगाव
नहीं है , उस वस्तु का वह
अधिकार नहीं है यदि कोई
व्यक्ति सौंदर्य प्रेमी नहीं होगा तो
श्रृंगार शोभा के प्रति उसकी
आश्रित नहीं होगी ! मूर्ख वयक्ति
प्रिय और मधुर वचन नहीं बोल पता
और स्पष्ट वाक्ता कभी धोखेबाज ,
धूर्त या मक्कार नहीं होता
!! चाणक्य नीति !!
एक ही माता के पेट से और
एक ही नक्षत्र में जन्म लेने वाली
संतान सामान गुण और शील वाली
नहीं होती, जैसे बेर के कांटे!
एक ही माता के पेट से और
एक ही नक्षत्र में जन्म लेने वाली
संतान सामान गुण और शील वाली
नहीं होती, जैसे बेर के कांटे!
!! चाणक्य नीति !!
भय से तभी तक डरना चाहिए "
जब तक भय आए नहीं ,आए हुए
भय को देखकर निशंक होकर
प्रहार करना चाहिए ' अर्थात उस
भय की परवाह नहीं करनी चाहिए
भय से तभी तक डरना चाहिए "
जब तक भय आए नहीं ,आए हुए
भय को देखकर निशंक होकर
प्रहार करना चाहिए ' अर्थात उस
भय की परवाह नहीं करनी चाहिए
!!चाणक्य नीति !!
जिस प्रकार घिसने-काटने '
आग में तपाने-पीटने 'इन चार
उपयोग से सोने की परख की जाती
है ' वैसे ही त्याग - शील - गुण और
कर्म इन चारो से मनुष्य की
पहचान होती है
जिस प्रकार घिसने-काटने '
आग में तपाने-पीटने 'इन चार
उपयोग से सोने की परख की जाती
है ' वैसे ही त्याग - शील - गुण और
कर्म इन चारो से मनुष्य की
पहचान होती है
!! चाणक्य नीति !!
स्त्रियों का गुरु पति है ! अतिथि
सबका गुरु है ! ब्राह्मण क्षत्रिय
और वैश्य का गुरु अग्नि है तथा
चारों वर्णों का गुरु ब्राह्मण है
स्त्रियों का गुरु पति है ! अतिथि
सबका गुरु है ! ब्राह्मण क्षत्रिय
और वैश्य का गुरु अग्नि है तथा
चारों वर्णों का गुरु ब्राह्मण है
!! चाणक्य निति !!
Guru Chanakya Ki Baatein
मनुष्य को जन्म देने वाला
यज्ञोपवीत संस्कार कराने वाला
पुरोहित विद्या देने वाला आचार्य
अन्न देने वाला अथवा रक्षा करने
वाला ये पांच पिता कहे गए है
!! चाणक्य निति !!
पुरुषो में नाई धूर्त होता है
पक्षियों में कौआ-पशुओ में गीदर
और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है
पुरुषो में नाई धूर्त होता है
पक्षियों में कौआ-पशुओ में गीदर
और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है
!! चाणक्य नीति !!
लक्ष्मी अनित्य और अस्थिर है
प्राण भी अनित्य है इस चलते-फिरते
संसार में केवल धर्म ही स्थिर है
लक्ष्मी अनित्य और अस्थिर है
प्राण भी अनित्य है इस चलते-फिरते
संसार में केवल धर्म ही स्थिर है
!! चाणक्य नीति !!
सत्य पर पृथ्वी टिकी है
सत्य से सूर्य तपता है
सत्य से वायु बहती है
संसार के सभी पदार्थ
सत्य में निहित है
सत्य पर पृथ्वी टिकी है
सत्य से सूर्य तपता है
सत्य से वायु बहती है
संसार के सभी पदार्थ
सत्य में निहित है
!! चाणक्य नीति !!
निर्धन धन चाहते हे पशु
वाणी चाहते है मनुष्य स्वर्ग की
इक्छा करते है और देवगण
मोक्ष चाहते है
निर्धन धन चाहते हे पशु
वाणी चाहते है मनुष्य स्वर्ग की
इक्छा करते है और देवगण
मोक्ष चाहते है
!! चाणक्य नीति !!
बादल के जल के सामान
दूसरा जल नहीं है आत्मबल के
सामान दूसरा बल नहीं है अपनी
आँखों के सामान दूसरा प्रकाश
नहीं है और अन्न के सामान दूसरा
प्रिय पदार्थ नहीं है
बादल के जल के सामान
दूसरा जल नहीं है आत्मबल के
सामान दूसरा बल नहीं है अपनी
आँखों के सामान दूसरा प्रकाश
नहीं है और अन्न के सामान दूसरा
प्रिय पदार्थ नहीं है
!! चाणक्य नीति !!
समुद्र में वर्षा का होना व्यर्थ
है तृप्त व्यक्ति को भोजन करना
व्यर्थ है धनिक को दान देना व्यर्थ
है और दिन में दीपक जलना व्यर्थ है
समुद्र में वर्षा का होना व्यर्थ
है तृप्त व्यक्ति को भोजन करना
व्यर्थ है धनिक को दान देना व्यर्थ
है और दिन में दीपक जलना व्यर्थ है
!! चाणक्य नीति !!
विदेश में विद्या ही मित्र होती
है घर में पत्नी मित्र होती है
रोगियों के लिए औषधि मित्र है
और मरते हुए वयक्ति का मित्र धर्म
होता है अर्थात उसके सत्कर्म होते है
विदेश में विद्या ही मित्र होती
है घर में पत्नी मित्र होती है
रोगियों के लिए औषधि मित्र है
और मरते हुए वयक्ति का मित्र धर्म
होता है अर्थात उसके सत्कर्म होते है
!! चाणक्य नीति !!
ब्रह्मज्ञानी की द्र्ष्टि में स्वर्ग
तिनके के सामान हे शूरवीर की
द्रष्टि में जीवन तिनके के समान है
इंद्रजीत के लिए स्त्री तिनके के
सामान है और जिसे किसी भी
वस्तु की कामना नहीं है उसकी
द्रष्टि में यह सारा संसार क्षणभंगुर दिखाई
देता है, वह तत्व ज्ञानी हो जाता है
ब्रह्मज्ञानी की द्र्ष्टि में स्वर्ग
तिनके के सामान हे शूरवीर की
द्रष्टि में जीवन तिनके के समान है
इंद्रजीत के लिए स्त्री तिनके के
सामान है और जिसे किसी भी
वस्तु की कामना नहीं है उसकी
द्रष्टि में यह सारा संसार क्षणभंगुर दिखाई
देता है, वह तत्व ज्ञानी हो जाता है
!! चाणक्य नीति !!
Chanakya Ki bate in hindi
मनुष्य अकेला ही जन्म लेता है
और अकेला है मरता है वह
अकेला ही अपने अच्छे+बुरे कर्मो
को भोगता है ! वह अकेला ही
नरक में जाता है परम पद को पाता है
!!चाणक्य नीति !!
काम~वासना के सामान दूसरा
रोग नहीं-मोह के सामान
शत्रु नहीं क्रोध के सामान आग नहीं
ज्ञान से बढ़ कर सुख नहीं
काम~वासना के सामान दूसरा
रोग नहीं-मोह के सामान
शत्रु नहीं क्रोध के सामान आग नहीं
ज्ञान से बढ़ कर सुख नहीं
!! चाणक्य नीति !!
द्ररिदता का नाश दान से।
दुगर्ति का नाश शालीनता से
मूर्खता का नाश सद्बुद्धि से और
भय का नाश अच्छी भावना से होता है
द्ररिदता का नाश दान से।
दुगर्ति का नाश शालीनता से
मूर्खता का नाश सद्बुद्धि से और
भय का नाश अच्छी भावना से होता है
!!चाणक्य नीति !!
हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया है
हम भविष्य की चिंता भी ना करे
विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है
!!चाणक्य नीति !!
बुद्धिमान व्यक्ति चुप रहते है
समझदार बोलते है
मुर्ख सिर्फ बहस करते है
!!चाणक्य नीति !!
क़ामयाब होने के लिए अच्छे मित्रों की जरुरत होती है और
जयादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओ की आवश्कयता होती है
!!चाणक्य नीति !!
जब तक तुम दौरने का साहस नहीं जुटाओगे
प्रतिस्पर्द्धा में जीतना तुम्हारे लिए असंभव बना रहेगा
!!चाणक्य नीति !!
कोई भी व्यक्ति अपने कार्यो से महान होता है
अपने जन्मों से नहीं
!!चाणक्य नीति !!
इस दुनिया के पेड़ को दो मीठे फल लगे है
मधुर वचन और सत्संग
!! चाणक्य नीति !!
उदारता ,वचनो में मधुरता ,साहस ,आचरण में विवेक
ये बाते कोई प् नहीं सकता ये मूल में होनी चाहिए
!!चाणक्य नीति !!
जिस घर में स्त्री जाति का अनादर होता हो,
वहाँ से लक्ष्मी, धर्म और सुख का वास उठ जाता है।
-------आचार्य चाणक्य
विनाश के समय मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
-------आचार्य चाणक्य
स्पष्ट कहने वाला छली नहीं होता।
-------आचार्य चाणक्य
उधोग से दरिद्रता नहीं रहती।
आत्म चिंतन से पाप नहीं रहता।
मौन रहने से झगड़ा नहीं होता।
सावधान रहने से भय नहीं होता।
-------आचार्य चाणक्य
अज्ञान के समान दूसरा बैरी नहीं।
-------आचार्य चाणक्य
शान्ति के समान कोई तप नहीं है,
संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है,
तृष्णा से बढ़कर कोई व्याधि नहीं है,
दया के समान कोई धर्म नहीं है।
-------आचार्य चाणक्य
मेहनत वह चाबी है जो किस्मत का दरवाजा खोल देता है।
-------आचार्य चाणक्य
संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है और न शत्रु है।
तुम्हारा अपना विचार ही शत्रु और मित्र बनाने के लिए
उत्तरदायी है।
-------आचार्य चाणक्य
मुर्ख कभी प्रिय नहीं बोलता, स्पष्ट वक्ता कभी धूर्त
नहीं होता।
-------आचार्य चाणक्य
जीवन का एक क्षण करोड़ो मुद्राएँ देने पर भी नहीं मिलता।
-------आचार्य चाणक्य
निरुत्साह होने से भाग्य भी नष्ट हो जाता है।
-------आचार्य चाणक्य
सभी धनो में विद्या धन मुख्य है।
-------आचार्य चाणक्य
डींग हाँकने वालो के साथ कभी मित्रता नहीं करनी चाहिये।
-------आचार्य चाणक्य
जैसे चंद्रमा चांडाल को भी रौशन कर देता है
वैसे ही सज्जन पुरुष गुणहीन प्राणियों पर भी दया करते हैं।
-------आचार्य चाणक्य
प्रेम करने वाला पड़ोसी दूर रहने वाला भाई से कहीं उत्तम है।
-------आचार्य चाणक्य
एक गुण सारे दोषो को ढक लेता है।
-------आचार्य चाणक्य
दूसरों की सुनो लेकिन अपना फैसला गुप्त रखो।
-------आचार्य चाणक्य
समृद्धि व्यक्तित्व की देन है भाग्य की नहीं।
-------आचार्य चाणक्य
जिस जगह झगड़ा हो रहा हो, वहाँ पर कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए। कई बार ऐसे झगड़ो में बेगुनाह मारे जाते है।
-------आचार्य चाणक्य
शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
-------आचार्य चाणक्य
बिना पढ़े पुस्तक को अपने पास रखना। अपना कमाया धन दूसरों के हवाले करना। यह अच्छी बात नहीं।
इससे दूर रहने पर लाभ है।
-------आचार्य चाणक्य
असली रत्न तो केवल अनाज, पानी और ज्ञान ही होते है।
इन तीनों रत्नों से बड़ा रत्न और कोई नहीं हो सकता।
-------आचार्य चाणक्य
एकता में ही शक्ति है।
बिखरे हजारों तिनकों को हाथी रौंद डालता है।
वही हजारों तिनकें मिलकर अंकुश बन हाथी को अपने बस में कर लेते है।
-------आचार्य चाणक्य
ईर्ष्या असफलता का दूसरा नाम है,
ईर्ष्या करने से अपना ही महत्व कम होता है।
-------आचार्य चाणक्य
अपने दिल की गुप्त बातें किसी को न बताओ।
मन का भेद दूसरे को देने वाले लोग सदा ही धोखा खाते है।
-------आचार्य चाणक्य
दोस्तों ऊपर लिखी सभी कोट्स चाणक्य नीति से ली गयी है इसका एक मात्र उद्देश्य आप सभी लोगो तक आचार्य चाणक्य द्वारा कही गयी बातो को पहुंचना है जिसे पढ़कर आप सभी खुद को किसी भी संकट में किसी भी परिस्थिति में सेल्फ मोटिवेटेड रख सके !
धन्यवाद !!
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