महापुरषों के अनमोल वचन | Best suvichar | anmol vachan
महापुरषों के अनमोल वचन या अनमोल मोती जिंदगी के औषधि के समान है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में संजीवनी की तरह काम करते है आज के इस ब्लॉग में हम महापुरषों द्वारा कही गयी सुविचार /अनमोल वचन को पढ़ेंगे। आइये दोस्तों इसे पढ़े और अपने वास्तविक जीवन में इसका अनुकरण करे.
दूसरों के स्वामी तो सभी बनना चाहते हैं, पर अपना कोई नहीं।
-------गेटे
यदि तुम भूलों को रोकने के लिए द्वार बंद कर दोगे तो
सत्य भी बाहर ही रह जाएगा।
---- रविंद्रनाथ टैगोर
जो व्यक्ति दूसरों के गुप्त भेद तुम्हारे सामने प्रकट करे
उसे अपने गुप्त भेदों से अवगत न होने दो। क्योंकि जो
व्यवहार वह दूसरों के साथ कर रहा है वही तुम्हारे साथ
भी करेगा।
-----हजरत अली
डूबने वाले के साथ सहानुभूति का अर्थ यह नहीं कि
उसके साथ डूब जाओ, बल्कि तैरकर उसे बचाने का
प्रयास करो।
----- विनोबा भावे
स्वार्थपरता ही अनीति है और निः स्वार्थपरता नीति।
------विवेकानंद
गुण सब स्थानों पर अपना आदर करा लेता है।
-------कालिदास
अपनी सभ्यता के प्रति वफादार रहें। सत्य की खोज करें, सत्य बोलें, सत्य का आचरण करें।
-------लाला लाजपत राय
स्पष्ट कहने वाला छली नहीं होता।
-----चाणक्य
गुण मनुष्य के वश में है, प्रतिभा के वश में मनुष्य स्वयं होता है।
--------लावेल
किसी सच्चे प्राणी को किसी प्रकार दुखित न करना
ही अहिंसा है।
-------- तिलक
त्याग हो आध्यात्मिकता का प्रथम सोपान है।
------स्वामी विवेकानंद
जीवन कर्म का ही दूसरा नाम है। वह जो कभी कर्म नहीं करता उसका अस्तित्व है किन्तु वह जीवित नहीं।
------हिलार्ड
कीर्तिवान मनुष्यों के लिए कीर्तिनाश की अपेक्षा मृत्यु कहीं श्रेयस्कर है।
------गीता
विश्वास और श्रद्धा में बड़ी ताकत होती है।
-----रामकृष्ण परमहंस
विनय ही शब्द है, सहनशील गुण और अनुनय अमूल्य रत्न है।
-----गुरुनानक देव
सड़क की मरम्मत करना भी देश भक्ति पूर्ण कार्य है।
-----लाला लाजपत राय
हमारा जीवन तो अमरत्व का शैशव मात्र है।
-------गेटे
भक्ति और प्रेम से मनुष्य निःस्वार्थ बन सकता है। मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती
है। तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
-----सुभाषचंद्र बोस
संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो नीति का जानकार न हो किंतु उसके प्रयोग से लोग विहीन होते है।
------कल्हण
दर्शनशास्त्र की आवश्यकता तब पड़ती है जब परम्परा में श्रद्धा हिल जाती है।
----- राधाकृष्णन
दुःख को दूर करने के लिए सबसे अच्छी दवा यही है कि उसका चिंतन छोड़ दिया जाए क्योंकि चिंतन से वह सामने आता है और अधिकाधिक बढ़ता रहता है।
------वेदव्यास
जिस प्रकार दीवार पर फेंकी गेंद अपने ऊपर आ गिरती है उसी प्रकार दूसरे के लिए चाही हुई हानि अपने ऊपर आ पड़ती है।
------सोमदेव
एक लापरवाह व्यक्ति की पत्नी विधवा के समान है।
----- हंगेरियन
जब दुःख अपनी चरम सीमा पर होता है, तब सुख ज्यादा नहीं होता।
------- महात्मा गाँधी
हर आदमी की बातें सुनो परंतु बहुत कम किसी को अपनी बात सुनाओ।
------अरबी कहावत
वर्तालाप बुद्धि को मुल्यवान बना देता था, परंतु एकांत प्रतिभा की पाठशाला है।
----- गिबन
पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक होता है। क्योंकि रत्न तो बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं जबकि पुस्तकें अंतःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
------- महात्मा गाँधी
काम करने से पूर्व सोचना बुद्धिमता है। काम करते समय सोचना सतर्कता है। काम पर चुकने पर सोचना मूर्खता सोचना सतर्कता है। काम पर चुकने पर सोचना मूर्खता है।
-----स्वामी शिवानंद सरस्वती
मनुष्य जिस संगति में रहता है, उसकी छाप उस पर पड़ती है। उसका निज गुण छिप जाता है यह संगति का गुण प्राप्त कर लेता है।
------रंगनाथ
जब शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है, तो फिर भय किसका, और किस लिए?
----- महात्मा गाँधी
अंधा वह नहीं जो देख नहीं सकता बल्कि अंधा तो वह है जो देखकर भी अपने दोषों पर परदा डालने का प्रयास करता हो।
----- महात्मा गाँधी
जैसे नमक के बिना अन्न स्वादरहित और फीका लगता है। वैसे ही वाचाल के कथन निस्सार होते हैं और किसी को रुचिकर नहीं लगते।
------तुकाराम
कटा हुआ वृक्ष भी बढ़ता है। क्षीण हुआ चंद्रमा भी पुनः
बढ़कर पुरा हो जाता है । इस बात को समझकर संत पुरुष अपनी विपत्ति से नहीं घबराते।
------ भर्तृहरि
भूल करके आदमी सीखता तो है, पर इसका यह मतलब नहीं कि जीवन भर वह भूल ही करता जाए और कहता फिरे कि अभी वह सिख ही रहा है।
------ स्वामी जी
सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, वह तो हमारे ही अंदर मौजूद है। मगर अहंकार छोड़े बगैर उसकी प्राप्ति नहीं होने वाली।
-----महात्मा गाँधी
किसी से दुश्मनी करना मेरे लिए मौत के बराबर है। मैं इससे घृणा करता हूँ और तमाम शरीफ आदमियों के प्रेम का अभिलाषी हूँ।
-----महात्मा गाँधी
सत्य ही मानव का आभूषण है।
----- गुरु घासीदास
छोटी-छोटी बातों में ही हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है।
-----महात्मा गाँधी
परोपकार न करने वाले मनुष्य के जीवन को धिक्कार है
क्योंकि पशुओं का चमड़ा भी उपकारी होता है।
------अज्ञात
महान सुयश के अतिरिक्त अन्य कोई स्थायी सम्पति संसार में नहीं है।
------तिरुवल्लुवर
मानसिक व्यभिचार शरीरिक व्यभिचार से भी भयंकर है।
------लक्ष्मीनारायण मिश्रा
हमें अग्रेजी की आवश्यकता है, किंतु अपनी भाषा का
नाश करने के लिए नहीं।
-----महात्मा गाँधी
जीवित मनुष्य के लिए दुष्ट अंतःकरण की यंत्रणा तो नरक है।
----- जॉन काल्विन
अंतःज्ञान दर्शन की एकमात्र कसौटी है।
----- शिवानंद
हम अंतःज्ञान से आविष्कार करते हैं। यद्यपि हम तर्क से सिद्ध करते हैं।
------ डॉ राधाकृष्णन
सार आचरण सिद्धांत का मूल तत्व यह है कि जो आचरण चिन्मुख है, वह श्रेष्ठ है।
------ हजारी प्रसाद द्विवेदी
सच्ची संस्कृति मस्तिष्क, हृदय और हाथ का अनुशासन है।
------शिवानन्द
पाप कर्म स्वयं न करें न दूसरों से कराएँ।
------- आचारांग
संसार में रहो, किंतु संसार के माया-मोह से निर्लिप्त रहो, उसी प्रकार जिस प्रकार कमल कीचड़ में विकसित होता है, तथापि वह कीचड़ के स्पर्श से परे रहकर सदैव निर्मल बना रहता है।
------ स्वामी जी
पत्र लिखना भी एक कला है। हमारी सभी कलाएँ सत्य की पूजा से प्रारंभ होती है। मुझे पत्र लिखना है और उसमें सत्य ही लिखना है और उसमें प्रेम उड़ेल देना है ऐसा सोचकर लिखने बैठोगे तो सुंदर पत्र ही लिखोगे।
-----महात्मा गाँधी
पवित्रता के बिना एकमात्र का कोई मूल्य नहीं।
------ स्वामी शिवानन्द
मानव की सेवा करना मानव का सर्वप्रथम कर्तव्य है।
------ विनोबा भावे
राजनीति-विज्ञान का साध्य मनुष्य का कल्याण ही होना चाहिए ।
------अरस्तू
वह राजा जिसके कानों तक प्रजा की पुकार न पहुँच पाए, आदर्श राजा नहीं कहा जा सकता।
------ प्रेमचंद्र
संतोष से सर्वोत्तम सुख प्राप्त होता है।
------ पतंजलि
धारणा की दृढ़ता और उद्देश्य की पवित्रता ये दोनों मिलकर अवश्य बाजी मार ले जाएँगी।
------विवेकानंद
तृष्णा संतोष की बैरन है, यह जहाँ पाँव जमाती है, संतोष को भगा देती है ।
------सुदर्शन
सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है, जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ है।
------ शंकराचार्य
मित्र के लिए जीवनदान देना उतना कठिन नहीं है जितना ऐसा मित्र खोजना जिसके लिए जीवनदान किया जा सके।
-------होमर
धन संग्रह की अपेक्षा तपस्या संग्रह श्रेष्ठ है।
------- वेदव्यास
ऊँचा आदर्श, क्षुद्र, स्वार्थी और मूढ़-ग्राहों को भुलावा देता है।
------ संपूर्णानंद
महान आदर्श महान मस्तिष्क का निर्माण करते है।
------ इमन्स
जो वस्तु आनंद नही प्रदान कर सकती, वह सुंदर नहीं हो सकती और जो सुंदर नहीं हो सकती, वह सत्य भी नहीं हो सकती। जहाँ आनंद है, वहीं सत्य है।
------प्रेमचंद्र
जिसके चित्त में कभी क्रोध नहीं आता और जिसके हृदय में सर्वदा परमेश्वर विराजमान रहता हो, वह व्यक्ति ईश्वर तुल्य है।
------ सूरदास
झूठ बोलकर मनुष्य जीवन की ढेर सारी सम्पदा खो देता है
-----शरत्
संसार में सबसे बड़े अधिकार सेवा व त्याग से मिलते हैं।
------ प्रेमचंद्र
धन के मद से मतवाला मनुष्य गिरे बिना होश में नहीं आता।
------भर्तृहरि
शरीर को रोगी और दुर्बल रखने के समान कोई दूसरा पाप नहीं।
------तिलक
जिसने इज्जत खो दी, उसने अपना सब कुछ खो दिया।
------सरदार पटेल
विनाश के समय मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
------चाणक्य
अपना हृदय पवित्र रखोगे तो दस प्राणियों की ताकत रखोगे।
------ स्वामी रामकृष्ण परमहंस
जो स्वयं नहीं भोग सकता, वह प्रसन्न मन से दान भी नहीं कर सकता।
------टैगोर
तप का फल है प्रकाश और ज्ञान।
-------वेदव्यास
जिसे पराजित होने का भय है, उसकी हार निश्चित है।
------ नेपोलियन
परिश्रम ऋण को चुकाता है, आलस्य उसे बढ़ाता है।
------- विवेकानंद
कोई भी यथार्थतः मूल्यवान वस्तु ऐसा नहीं है जो श्रम के बिना खरीदी जा सके।
------एडिसन
चाहे सुखी रोटी ही क्यों न हो परिश्रम के स्वर्जित भोजन से मधुर और कुछ नहीं होता।
------तिरुवल्लुवर
परिश्रम धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है
------ सोमदेव
जिसका मन शुद्ध रहता है, वह सभी को शुद्ध समझता है।
------- माँ शारदा
गुरु की डांट पिता के प्यार से अच्छी है।
------ सादी
जब किसी के बारे में लिखो तो यह समझकर लिखो कि वह तुम्हारे सामने ही बैठा है और तुमसे जवाब- तलब कर सकता है।
------ गणेशशंकर विधार्थी
जब कोई आदरणीय व्यक्ति अपने यहाँ आए तो हमें कुछ दूर आगे बढ़कर उनका स्वागत करना चाहिए और जब वे वापस जाने लगे तो हमें कुछ दूर आगे चलकर उन्हें पहुँचना चाहिए।
------ स्वामी जी
दानशीलता हृदय का गुण है, हाथों का नहीं।
------ एडिसन
गुस्सा करने का मतलब है आत्मा की शांति को खोना,
अपने ऊपर काबू खोना, विचार की स्पष्टता खोना, परिस्थिति की पकड़ खोना और निकटवर्ती लोगों का मान खोना।
------ स्वामी जी
संसार में आधे से अधिक लोग तो इसलिए असफल हो जाते हैं कि समय पर उनमें साहस का संचार नहीं हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं।
------ स्वामी जी
भाग्य कुछ भी नहीं करता, यह तो केवल कल्पना है।
------ योग वाशिष्ट
सारी कुटिलता मृत्यु का स्थान है और सरलता परब्रह्म की प्राप्ति का स्थान है।
------ वेदव्यास
फूल अपने लिए नहीं खिलता, दूसरों के लिए तुम भी अपने हृदय कुसुम को प्रस्फुटित कर देना।
----- बंकिम चंद्र
राज्य का अस्तित्व अच्छे जीवन के लिए होता है, केवल जीवन के लिए नहीं ।
------ अरस्तू
रिवाज के कुएँ में तैयार अच्छा है। उसमें डूबना आत्महत्या है।
------ महात्मा गाँधी
जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा, वैसा ही तुम्हारा जीवन भी होगा।
------ श्री माँ
प्रिय होने पर भी जो हितकर न हो उसे न कहें। हितकर करना ही अच्छा है, चाहे वह अत्यंत अप्रिय हो।
------ विष्णु पुराण
यदि किसी देशभक्त में मानवीयता कम है, तो समझना
चाहिए कि उसकी देशभक्ति में भी उस हद तक कमी है।
------ महात्मा गाँधी
खून का वह आखिरी कतरा जो वेतन की हिफाजत में गिरे, दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।
------प्रेमचंद्र
देशभक्त, जननी का सच्च पुत्र है।
------ जयशंकर प्रसाद
देश की सेवा करने में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं है।
------ सरदार पटेल
जीवन में जो कुछ पवित्र और धार्मिक है, स्त्रियाँ उसकी
विशेष संरक्षिकाएँ है।
------ महात्मा गाँधी
जिस घर में स्त्री जाती का अनादर होता हो, वहाँ से लक्ष्मी, धर्म और सुख का वास उठ जाता है।
------- चाणक्य
जो मनुष्य अपनी स्त्री से किसी भी विषय में राय लेने में अपना अपमान समझे, उसकी बुद्धि बिगड़ी हुई है।
------ बोर्डमन
एक अच्छी माता- सौ शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए उसका हर हालत में सम्मान करना चाहिए ।
------ जॉर्ज हरबर्ट
अच्छी स्त्री से विवाह करना जीवन के तूफान में बंदरगाह की तरह है जबकि ठीक इसके ठीक विपरीत बुरी स्त्री से विवाह करना बंदरगाह में तूफान की तरह है।
-------सेन
देह से ही नहीं जो दिल से भी गुलाम हो गए हों वे कभी आजादी हासिल नहीं कर सकते।
-----महात्मा गाँधी
गृहस्थ का घर भी एक तपोभूमि है, सहनशीलता और संयम खोकर कोई इसमें सुखी नहीं रह सकता।
------जनार्दन प्रसाद झा ' द्विज'
वह मनुष्य चाहे राजा हो या किसान सबसे भाग्यवान है
जिसे अपने घर में शांति मिलती है।
------ गेटे
जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रहता है।
------- महात्मा गाँधी
पुरुषार्थ हीन मनुष्य जीते ही मरा हुआ है।
------ शंकराचर्या
लोक प्रशंसा प्रायः सभी को प्रिय होती है।
----- प्रेमचंद्र
आज पढ़ना सब जानते है और पर चाहिए यह नहीं कोई नहीं जानता।
------ बनार्ड शॉ
तुम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करो जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं ।
------हितोपदेश
क्या तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है? तो समय व्यर्थ मत गँवाओ क्योंकि जीवन उसी से बना हो।
------ फ्रेंकलिन
जो लोग सचमुच बुद्धिमान हैं, वे असफलताओं से कभी नहीं घबराते।
------ शेक्सपीयर
हमें केवल काम करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है।
------ नेता जी
लुढ़कते हुए पत्थर पर कोई नहीं जमती। काम आने वाले लोहे पर जंग नहीं लगता। बार - बार कोशिश करने वाला कभी पराजित नहीं होता।
------ स्वेट मारटें
अंधा वह नहीं जो देख नहीं सकता। अंधा वह है जो देखकर भी अपने दोषों पर पर्दा डालने का प्रयत्न करता है।
------ महात्मा गाँधी
बुराई का बीज बोकर नेकी का फल काटना चाहते हो इससे ज्यादा मूर्खता और क्या हो सकती है।
------ स्वामी सारश्रद्धा नंद
सचाई ही तुम्हें बुराइयों से रोक सकती है।
----- बुद्ध
सच्चा मनुष्य वहीं है जो बुराई का बदला भलाई से दे।
------ महात्मा गाँधी
जहाँ सत्य नहीं है वहाँ शुद्ध ज्ञान नहीं है।
------ महात्मा गाँधी
ईश्वर हमारी पूजा की विधि को नहीं देखता, वह तो हमारे मन को देखता है।
------ महात्मा गाँधी
फूल अपने लिए नहीं खिलता। दूसरों के लिए तुम भी अपने हृदय कुसुम को प्रस्फुटित कर देना।
------ बकिमचंद्र
जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा, वैसा ही तुम्हारा जीवन भी होगा।
------ श्री माँ
अपनी ताकत पर भरोसा करो , उधार की शक्ति तुम्हारे लिए घातक है ।
------ सुभाषचंद्र बोस
वे व्यक्ति कभी अकेले नहीं है जिनके साथ सुंदर विचार हैं।
------पी० सिडनी
बुरे विचार ही हमारी सुख शांति के शत्रु हैं।
------ स्वेटमार्डन
यदि मनुष्य सिखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।
------ महात्मा गाँधी
सत्य ईश्वर की आत्मा है और प्रकाश उनका शरीर।
------ पाइथागोरस
धैर्य सब उल्लासों एवं शक्तियों का मूल है।
------ रिक्सन
मानव जितना महान होगा उतना ही नम्र होगा।
------ टैनिसन
समय हाथ से निकल जाने के बाद केवल पश्चाताप ही हाथ लगता है।
------ स्वेटमाडेंन
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव होता है।
------ कारलाइल
ऊँच - नीच की मान्यता हिंदू धर्म पर कलंक है। उसे हमें मिटा देना चाहिए।
------ महात्मा गाँधी
वह मनुष्य जो गलतियाँ नहीं करता है। प्रायः कुछ नहीं कर पाता है।
------ एडवर्ग जान फेल्पस
जब मनुष्य अपने अंदर युद्ध करने लगता है, तब वह अवश्य ही किसी योग्य होता है।
------ राबर्ट ब्राउनिंग
परोकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक कदम है।
------- एच० डब्ल्यू० वीपरे
यश की प्राप्ति भले नहीं किंतु अपयश होना उचित नहीं है।
------ राजशेखर
पतन के गर्त से उत्थान के शिखर पर चढ़ने की सीढ़ी को ही धर्म कहा जाना चाहिए।
------ सेंटपाल
मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली - भाँति परिचित रहता है परंतु उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिए।
------- जयशंकर प्रसाद
अगर तुम एक समय में बहुत - सा काम करना चाहोगे तो तुम किसी भी काम में पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं कर सकोगे।
------ जान्स नारमेंट
सच्चरित्रता का महान नियम परमेश्वर के बाद, समय का सम्मान करना है।
------ लेवेटर
-------गेटे
यदि तुम भूलों को रोकने के लिए द्वार बंद कर दोगे तो
सत्य भी बाहर ही रह जाएगा।
---- रविंद्रनाथ टैगोर
जो व्यक्ति दूसरों के गुप्त भेद तुम्हारे सामने प्रकट करे
उसे अपने गुप्त भेदों से अवगत न होने दो। क्योंकि जो
व्यवहार वह दूसरों के साथ कर रहा है वही तुम्हारे साथ
भी करेगा।
-----हजरत अली
डूबने वाले के साथ सहानुभूति का अर्थ यह नहीं कि
उसके साथ डूब जाओ, बल्कि तैरकर उसे बचाने का
प्रयास करो।
----- विनोबा भावे
स्वार्थपरता ही अनीति है और निः स्वार्थपरता नीति।
------विवेकानंद
गुण सब स्थानों पर अपना आदर करा लेता है।
-------कालिदास
अपनी सभ्यता के प्रति वफादार रहें। सत्य की खोज करें, सत्य बोलें, सत्य का आचरण करें।
-------लाला लाजपत राय
स्पष्ट कहने वाला छली नहीं होता।
-----चाणक्य
गुण मनुष्य के वश में है, प्रतिभा के वश में मनुष्य स्वयं होता है।
--------लावेल
किसी सच्चे प्राणी को किसी प्रकार दुखित न करना
ही अहिंसा है।
-------- तिलक
त्याग हो आध्यात्मिकता का प्रथम सोपान है।
------स्वामी विवेकानंद
जीवन कर्म का ही दूसरा नाम है। वह जो कभी कर्म नहीं करता उसका अस्तित्व है किन्तु वह जीवित नहीं।
------हिलार्ड
कीर्तिवान मनुष्यों के लिए कीर्तिनाश की अपेक्षा मृत्यु कहीं श्रेयस्कर है।
------गीता
विश्वास और श्रद्धा में बड़ी ताकत होती है।
-----रामकृष्ण परमहंस
विनय ही शब्द है, सहनशील गुण और अनुनय अमूल्य रत्न है।
-----गुरुनानक देव
सड़क की मरम्मत करना भी देश भक्ति पूर्ण कार्य है।
-----लाला लाजपत राय
हमारा जीवन तो अमरत्व का शैशव मात्र है।
-------गेटे
भक्ति और प्रेम से मनुष्य निःस्वार्थ बन सकता है। मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती
है। तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
-----सुभाषचंद्र बोस
संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो नीति का जानकार न हो किंतु उसके प्रयोग से लोग विहीन होते है।
------कल्हण
दर्शनशास्त्र की आवश्यकता तब पड़ती है जब परम्परा में श्रद्धा हिल जाती है।
----- राधाकृष्णन
दुःख को दूर करने के लिए सबसे अच्छी दवा यही है कि उसका चिंतन छोड़ दिया जाए क्योंकि चिंतन से वह सामने आता है और अधिकाधिक बढ़ता रहता है।
------वेदव्यास
जिस प्रकार दीवार पर फेंकी गेंद अपने ऊपर आ गिरती है उसी प्रकार दूसरे के लिए चाही हुई हानि अपने ऊपर आ पड़ती है।
------सोमदेव
एक लापरवाह व्यक्ति की पत्नी विधवा के समान है।
----- हंगेरियन
जब दुःख अपनी चरम सीमा पर होता है, तब सुख ज्यादा नहीं होता।
------- महात्मा गाँधी
हर आदमी की बातें सुनो परंतु बहुत कम किसी को अपनी बात सुनाओ।
------अरबी कहावत
वर्तालाप बुद्धि को मुल्यवान बना देता था, परंतु एकांत प्रतिभा की पाठशाला है।
----- गिबन
पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक होता है। क्योंकि रत्न तो बाहरी चमक-दमक दिखाते हैं जबकि पुस्तकें अंतःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
------- महात्मा गाँधी
काम करने से पूर्व सोचना बुद्धिमता है। काम करते समय सोचना सतर्कता है। काम पर चुकने पर सोचना मूर्खता सोचना सतर्कता है। काम पर चुकने पर सोचना मूर्खता है।
-----स्वामी शिवानंद सरस्वती
मनुष्य जिस संगति में रहता है, उसकी छाप उस पर पड़ती है। उसका निज गुण छिप जाता है यह संगति का गुण प्राप्त कर लेता है।
------रंगनाथ
जब शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है, तो फिर भय किसका, और किस लिए?
----- महात्मा गाँधी
अंधा वह नहीं जो देख नहीं सकता बल्कि अंधा तो वह है जो देखकर भी अपने दोषों पर परदा डालने का प्रयास करता हो।
----- महात्मा गाँधी
जैसे नमक के बिना अन्न स्वादरहित और फीका लगता है। वैसे ही वाचाल के कथन निस्सार होते हैं और किसी को रुचिकर नहीं लगते।
------तुकाराम
कटा हुआ वृक्ष भी बढ़ता है। क्षीण हुआ चंद्रमा भी पुनः
बढ़कर पुरा हो जाता है । इस बात को समझकर संत पुरुष अपनी विपत्ति से नहीं घबराते।
------ भर्तृहरि
भूल करके आदमी सीखता तो है, पर इसका यह मतलब नहीं कि जीवन भर वह भूल ही करता जाए और कहता फिरे कि अभी वह सिख ही रहा है।
------ स्वामी जी
सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, वह तो हमारे ही अंदर मौजूद है। मगर अहंकार छोड़े बगैर उसकी प्राप्ति नहीं होने वाली।
-----महात्मा गाँधी
किसी से दुश्मनी करना मेरे लिए मौत के बराबर है। मैं इससे घृणा करता हूँ और तमाम शरीफ आदमियों के प्रेम का अभिलाषी हूँ।
-----महात्मा गाँधी
सत्य ही मानव का आभूषण है।
----- गुरु घासीदास
छोटी-छोटी बातों में ही हमारे सिद्धांतों की परीक्षा होती है।
-----महात्मा गाँधी
परोपकार न करने वाले मनुष्य के जीवन को धिक्कार है
क्योंकि पशुओं का चमड़ा भी उपकारी होता है।
------अज्ञात
महान सुयश के अतिरिक्त अन्य कोई स्थायी सम्पति संसार में नहीं है।
------तिरुवल्लुवर
मानसिक व्यभिचार शरीरिक व्यभिचार से भी भयंकर है।
------लक्ष्मीनारायण मिश्रा
हमें अग्रेजी की आवश्यकता है, किंतु अपनी भाषा का
नाश करने के लिए नहीं।
-----महात्मा गाँधी
जीवित मनुष्य के लिए दुष्ट अंतःकरण की यंत्रणा तो नरक है।
----- जॉन काल्विन
अंतःज्ञान दर्शन की एकमात्र कसौटी है।
----- शिवानंद
हम अंतःज्ञान से आविष्कार करते हैं। यद्यपि हम तर्क से सिद्ध करते हैं।
------ डॉ राधाकृष्णन
सार आचरण सिद्धांत का मूल तत्व यह है कि जो आचरण चिन्मुख है, वह श्रेष्ठ है।
------ हजारी प्रसाद द्विवेदी
सच्ची संस्कृति मस्तिष्क, हृदय और हाथ का अनुशासन है।
------शिवानन्द
पाप कर्म स्वयं न करें न दूसरों से कराएँ।
------- आचारांग
संसार में रहो, किंतु संसार के माया-मोह से निर्लिप्त रहो, उसी प्रकार जिस प्रकार कमल कीचड़ में विकसित होता है, तथापि वह कीचड़ के स्पर्श से परे रहकर सदैव निर्मल बना रहता है।
------ स्वामी जी
पत्र लिखना भी एक कला है। हमारी सभी कलाएँ सत्य की पूजा से प्रारंभ होती है। मुझे पत्र लिखना है और उसमें सत्य ही लिखना है और उसमें प्रेम उड़ेल देना है ऐसा सोचकर लिखने बैठोगे तो सुंदर पत्र ही लिखोगे।
-----महात्मा गाँधी
पवित्रता के बिना एकमात्र का कोई मूल्य नहीं।
------ स्वामी शिवानन्द
मानव की सेवा करना मानव का सर्वप्रथम कर्तव्य है।
------ विनोबा भावे
राजनीति-विज्ञान का साध्य मनुष्य का कल्याण ही होना चाहिए ।
------अरस्तू
वह राजा जिसके कानों तक प्रजा की पुकार न पहुँच पाए, आदर्श राजा नहीं कहा जा सकता।
------ प्रेमचंद्र
संतोष से सर्वोत्तम सुख प्राप्त होता है।
------ पतंजलि
धारणा की दृढ़ता और उद्देश्य की पवित्रता ये दोनों मिलकर अवश्य बाजी मार ले जाएँगी।
------विवेकानंद
तृष्णा संतोष की बैरन है, यह जहाँ पाँव जमाती है, संतोष को भगा देती है ।
------सुदर्शन
सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है, जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ है।
------ शंकराचार्य
मित्र के लिए जीवनदान देना उतना कठिन नहीं है जितना ऐसा मित्र खोजना जिसके लिए जीवनदान किया जा सके।
-------होमर
धन संग्रह की अपेक्षा तपस्या संग्रह श्रेष्ठ है।
------- वेदव्यास
ऊँचा आदर्श, क्षुद्र, स्वार्थी और मूढ़-ग्राहों को भुलावा देता है।
------ संपूर्णानंद
महान आदर्श महान मस्तिष्क का निर्माण करते है।
------ इमन्स
जो वस्तु आनंद नही प्रदान कर सकती, वह सुंदर नहीं हो सकती और जो सुंदर नहीं हो सकती, वह सत्य भी नहीं हो सकती। जहाँ आनंद है, वहीं सत्य है।
------प्रेमचंद्र
जिसके चित्त में कभी क्रोध नहीं आता और जिसके हृदय में सर्वदा परमेश्वर विराजमान रहता हो, वह व्यक्ति ईश्वर तुल्य है।
------ सूरदास
झूठ बोलकर मनुष्य जीवन की ढेर सारी सम्पदा खो देता है
-----शरत्
संसार में सबसे बड़े अधिकार सेवा व त्याग से मिलते हैं।
------ प्रेमचंद्र
धन के मद से मतवाला मनुष्य गिरे बिना होश में नहीं आता।
------भर्तृहरि
शरीर को रोगी और दुर्बल रखने के समान कोई दूसरा पाप नहीं।
------तिलक
जिसने इज्जत खो दी, उसने अपना सब कुछ खो दिया।
------सरदार पटेल
विनाश के समय मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।
------चाणक्य
अपना हृदय पवित्र रखोगे तो दस प्राणियों की ताकत रखोगे।
------ स्वामी रामकृष्ण परमहंस
जो स्वयं नहीं भोग सकता, वह प्रसन्न मन से दान भी नहीं कर सकता।
------टैगोर
तप का फल है प्रकाश और ज्ञान।
-------वेदव्यास
जिसे पराजित होने का भय है, उसकी हार निश्चित है।
------ नेपोलियन
परिश्रम ऋण को चुकाता है, आलस्य उसे बढ़ाता है।
------- विवेकानंद
कोई भी यथार्थतः मूल्यवान वस्तु ऐसा नहीं है जो श्रम के बिना खरीदी जा सके।
------एडिसन
चाहे सुखी रोटी ही क्यों न हो परिश्रम के स्वर्जित भोजन से मधुर और कुछ नहीं होता।
------तिरुवल्लुवर
परिश्रम धीर व्यक्ति को इस जगत में कोई वस्तु अप्राप्य नहीं है
------ सोमदेव
जिसका मन शुद्ध रहता है, वह सभी को शुद्ध समझता है।
------- माँ शारदा
गुरु की डांट पिता के प्यार से अच्छी है।
------ सादी
जब किसी के बारे में लिखो तो यह समझकर लिखो कि वह तुम्हारे सामने ही बैठा है और तुमसे जवाब- तलब कर सकता है।
------ गणेशशंकर विधार्थी
जब कोई आदरणीय व्यक्ति अपने यहाँ आए तो हमें कुछ दूर आगे बढ़कर उनका स्वागत करना चाहिए और जब वे वापस जाने लगे तो हमें कुछ दूर आगे चलकर उन्हें पहुँचना चाहिए।
------ स्वामी जी
दानशीलता हृदय का गुण है, हाथों का नहीं।
------ एडिसन
गुस्सा करने का मतलब है आत्मा की शांति को खोना,
अपने ऊपर काबू खोना, विचार की स्पष्टता खोना, परिस्थिति की पकड़ खोना और निकटवर्ती लोगों का मान खोना।
------ स्वामी जी
संसार में आधे से अधिक लोग तो इसलिए असफल हो जाते हैं कि समय पर उनमें साहस का संचार नहीं हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं।
------ स्वामी जी
भाग्य कुछ भी नहीं करता, यह तो केवल कल्पना है।
------ योग वाशिष्ट
सारी कुटिलता मृत्यु का स्थान है और सरलता परब्रह्म की प्राप्ति का स्थान है।
------ वेदव्यास
फूल अपने लिए नहीं खिलता, दूसरों के लिए तुम भी अपने हृदय कुसुम को प्रस्फुटित कर देना।
----- बंकिम चंद्र
राज्य का अस्तित्व अच्छे जीवन के लिए होता है, केवल जीवन के लिए नहीं ।
------ अरस्तू
रिवाज के कुएँ में तैयार अच्छा है। उसमें डूबना आत्महत्या है।
------ महात्मा गाँधी
जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा, वैसा ही तुम्हारा जीवन भी होगा।
------ श्री माँ
प्रिय होने पर भी जो हितकर न हो उसे न कहें। हितकर करना ही अच्छा है, चाहे वह अत्यंत अप्रिय हो।
------ विष्णु पुराण
यदि किसी देशभक्त में मानवीयता कम है, तो समझना
चाहिए कि उसकी देशभक्ति में भी उस हद तक कमी है।
------ महात्मा गाँधी
खून का वह आखिरी कतरा जो वेतन की हिफाजत में गिरे, दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।
------प्रेमचंद्र
देशभक्त, जननी का सच्च पुत्र है।
------ जयशंकर प्रसाद
देश की सेवा करने में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं है।
------ सरदार पटेल
जीवन में जो कुछ पवित्र और धार्मिक है, स्त्रियाँ उसकी
विशेष संरक्षिकाएँ है।
------ महात्मा गाँधी
जिस घर में स्त्री जाती का अनादर होता हो, वहाँ से लक्ष्मी, धर्म और सुख का वास उठ जाता है।
------- चाणक्य
जो मनुष्य अपनी स्त्री से किसी भी विषय में राय लेने में अपना अपमान समझे, उसकी बुद्धि बिगड़ी हुई है।
------ बोर्डमन
एक अच्छी माता- सौ शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए उसका हर हालत में सम्मान करना चाहिए ।
------ जॉर्ज हरबर्ट
अच्छी स्त्री से विवाह करना जीवन के तूफान में बंदरगाह की तरह है जबकि ठीक इसके ठीक विपरीत बुरी स्त्री से विवाह करना बंदरगाह में तूफान की तरह है।
-------सेन
देह से ही नहीं जो दिल से भी गुलाम हो गए हों वे कभी आजादी हासिल नहीं कर सकते।
-----महात्मा गाँधी
गृहस्थ का घर भी एक तपोभूमि है, सहनशीलता और संयम खोकर कोई इसमें सुखी नहीं रह सकता।
------जनार्दन प्रसाद झा ' द्विज'
वह मनुष्य चाहे राजा हो या किसान सबसे भाग्यवान है
जिसे अपने घर में शांति मिलती है।
------ गेटे
जिसे पुस्तक पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रहता है।
------- महात्मा गाँधी
पुरुषार्थ हीन मनुष्य जीते ही मरा हुआ है।
------ शंकराचर्या
लोक प्रशंसा प्रायः सभी को प्रिय होती है।
----- प्रेमचंद्र
आज पढ़ना सब जानते है और पर चाहिए यह नहीं कोई नहीं जानता।
------ बनार्ड शॉ
तुम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करो जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं ।
------हितोपदेश
क्या तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है? तो समय व्यर्थ मत गँवाओ क्योंकि जीवन उसी से बना हो।
------ फ्रेंकलिन
जो लोग सचमुच बुद्धिमान हैं, वे असफलताओं से कभी नहीं घबराते।
------ शेक्सपीयर
हमें केवल काम करने का अधिकार है। कर्म ही हमारा कर्तव्य है।
------ नेता जी
लुढ़कते हुए पत्थर पर कोई नहीं जमती। काम आने वाले लोहे पर जंग नहीं लगता। बार - बार कोशिश करने वाला कभी पराजित नहीं होता।
------ स्वेट मारटें
अंधा वह नहीं जो देख नहीं सकता। अंधा वह है जो देखकर भी अपने दोषों पर पर्दा डालने का प्रयत्न करता है।
------ महात्मा गाँधी
बुराई का बीज बोकर नेकी का फल काटना चाहते हो इससे ज्यादा मूर्खता और क्या हो सकती है।
------ स्वामी सारश्रद्धा नंद
सचाई ही तुम्हें बुराइयों से रोक सकती है।
----- बुद्ध
सच्चा मनुष्य वहीं है जो बुराई का बदला भलाई से दे।
------ महात्मा गाँधी
जहाँ सत्य नहीं है वहाँ शुद्ध ज्ञान नहीं है।
------ महात्मा गाँधी
ईश्वर हमारी पूजा की विधि को नहीं देखता, वह तो हमारे मन को देखता है।
------ महात्मा गाँधी
फूल अपने लिए नहीं खिलता। दूसरों के लिए तुम भी अपने हृदय कुसुम को प्रस्फुटित कर देना।
------ बकिमचंद्र
जैसा तुम्हारा लक्ष्य होगा, वैसा ही तुम्हारा जीवन भी होगा।
------ श्री माँ
अपनी ताकत पर भरोसा करो , उधार की शक्ति तुम्हारे लिए घातक है ।
------ सुभाषचंद्र बोस
वे व्यक्ति कभी अकेले नहीं है जिनके साथ सुंदर विचार हैं।
------पी० सिडनी
बुरे विचार ही हमारी सुख शांति के शत्रु हैं।
------ स्वेटमार्डन
यदि मनुष्य सिखना चाहे तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।
------ महात्मा गाँधी
सत्य ईश्वर की आत्मा है और प्रकाश उनका शरीर।
------ पाइथागोरस
धैर्य सब उल्लासों एवं शक्तियों का मूल है।
------ रिक्सन
मानव जितना महान होगा उतना ही नम्र होगा।
------ टैनिसन
समय हाथ से निकल जाने के बाद केवल पश्चाताप ही हाथ लगता है।
------ स्वेटमाडेंन
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव होता है।
------ कारलाइल
ऊँच - नीच की मान्यता हिंदू धर्म पर कलंक है। उसे हमें मिटा देना चाहिए।
------ महात्मा गाँधी
वह मनुष्य जो गलतियाँ नहीं करता है। प्रायः कुछ नहीं कर पाता है।
------ एडवर्ग जान फेल्पस
जब मनुष्य अपने अंदर युद्ध करने लगता है, तब वह अवश्य ही किसी योग्य होता है।
------ राबर्ट ब्राउनिंग
परोकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक कदम है।
------- एच० डब्ल्यू० वीपरे
यश की प्राप्ति भले नहीं किंतु अपयश होना उचित नहीं है।
------ राजशेखर
पतन के गर्त से उत्थान के शिखर पर चढ़ने की सीढ़ी को ही धर्म कहा जाना चाहिए।
------ सेंटपाल
मनुष्य अपनी दुर्बलता से भली - भाँति परिचित रहता है परंतु उसे अपने बल से भी अवगत होना चाहिए।
------- जयशंकर प्रसाद
अगर तुम एक समय में बहुत - सा काम करना चाहोगे तो तुम किसी भी काम में पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं कर सकोगे।
------ जान्स नारमेंट
सच्चरित्रता का महान नियम परमेश्वर के बाद, समय का सम्मान करना है।
------ लेवेटर
प्रेम से बड़ा और कोई हथियार नहीं है।
----- महात्मा गाँधी
मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्योंकि यह सभी गुणों की जिम्मेदारी लेता है।
------- चर्चिल
देह जल से अधिक पवित्र होता है, मन सत्य से, आत्मा धर्म और बुद्धिमान से पवित्र होती है।
------ मनुस्मृति
परोपकार के लिए मरने का सौभाग्य तो संस्कार वालों को ही प्राप्त होता है।
------ प्रेमचंद्र
ऋण हो जाए इतना खर्च मत करना, पाप हो ऐसी कमाई मत करना, क्लेश हो ऐसा मत बोलना, रोग हो वैसा मत खाना और शरीर दिखाई दे वैसा कपड़ा मत पहनना।
------ नाकु ब्रदर्स
अग्नि स्वर्ण को परखती है, मुसीबत वीर पुरुषों को।
------ सेनेका
नारी की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति या अवनति आधारित है।
------- अरस्तू
यौवन, धन, सम्पति, प्रभुता एवं अविवेक इनमें से एक भी अनर्थ के लिए पर्याप्त है, फिर जहाँ चारों एकत्र हों, वहाँ का कहना ही क्या।
------ नारायण पंडित
दो बैर करने वालों के बीच में बात ऐसी कहें कि यदि वे मित्र बन जाये तो आप लज्जित न हों।
------ सादी
बोलना और वाग्मिता एक नहीं है। बोलना और अच्छी
तरह बोलना दो चिजें हैं।
------ बेन जॉनसन
जो अपने को बुद्धिमान समझता है, वह सबसे बड़ा मुर्ख होता है।
------ कोल्टन
जिसके जीवित रहने से विद्वान, मित्र और बंधु - बांधव जीते हैं उसी का जीना सार्थक है अपने लिए कौन नहीं जीता।
------ हितोपदेश
त्याग का अभिमान धन के अभिमान से भी ज्यादा खतरनाक है।
------ शिवनंद
आशा मद है, निराशा मद का उतार।
------ प्रेमचंद्र
आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है।
------ महात्मा गाँधी
जो अन्य से आशा नहीं करता, वही शूर है।
------ तुकाराम
विलास सच्चे सुख की छाया मात्र है।
------ प्रेमचंद्र
तुम्हारे कष्टों का कारण चाहे जो भी हो, पर दूसरों को आहत न करो।
------ बुद्ध
श्रम भी पूंजी है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार धातु के सिक्के।
------ महात्मा गाँधी
सतत् अभ्यास ही मनुष्य का बल है, विश्राम नहीं।
----- पोप
मृत्यु हमारा सच्चा मित्र है। अहं भाव हमको दुःख देता है।
----- महात्मा गाँधी
साधक संसार में रहे किन्तु संसार का मायामोह साधक के मन में न रहे।
------ रामकृष्ण परमहंस
मेल - मिलाप उन्नति की आत्मा है।
------ वक्सटन
संतोष तो प्रयासों में है, उपलब्धियों में नहीं।
-----महात्मा गाँधी
राष्ट्रों की सम्पति तो मनुष्य है रेशम, कपास या स्वर्ण नहीं ।
----- रिचार्ड हॉवे
धन्यवाद !!
Baht hi sundar
जवाब देंहटाएंदिवाली 2022 के दिन रंगोली कैसे बनाएं | Diwali Rangoli Designs Making Tips in Hindi
दिवाली 2022 पर घर सजाने का आसान तरीका| Diwali Decoration Ideas in Hindi
दिवाली 2022 पर नारे | Happy Diwali Slogan in Hindi | दीपावली पर नारा
दिवाली 2022 में दे अपनों को ये उपहार | Diwali Gifts Ideas in Hindi
दिवाली पर कविता | Diwali Kavita Poetry Poem in Hindi | दीपावली पर कविता
दिवाली पर निबंध हिंदी मे | Happy Diwali Essay in Hindi | दीपावली निबंध
दिवाली पर बच्चो के मिट्टी का घर कैसे बनाएं | Diwali Gharonda Ghar Making Tips in Hindi