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शनिवार, 13 जून 2020

Munawwar Rana Ki shayari | मुनव्वर राणा की मशहूर शायरी [2020]

मुनव्वर राणा की मशहूर शायरी | Munawwar Rana Ki shayari | Munawwar Rana Maa Shayari  in Hindi | Maa Shayari Collections

दोस्तों आज Best Shayari के इस ब्लॉग़ में हम जिस महान कवि के लिखे शेरो शायरी को पढ़ेंगे उनकी एक शायरी से उनके विषय में जानकारी दे दू 
उनका मतला है के 
एक मामूली कलम को कहा तक घसीट लाए  !
हम इस ग़ज़ल को कोठे से माँ तक घसीट लाए  !!
जी हा दोस्तों ये वही शायर है जिन्होंने कहा है "मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई " इनका नाम है जनाब मुनव्वर राणा
हम सब ये जानते है शेरो शायरी या गजल मेहबूब पर कहना या सुनना बहुत ही अच्छा लगता है मगर माँ पर शायरी कहने का हिम्मत इस विश्व में किसी ने किया तो वो है जनाब मुनव्वर राणा
तो आइये दोस्तों आज Munawwar Rana Ki shayari को पढ़े और इनके लिखे शेरो शायरी का आनंद ले

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Munawwar Rana Maa Shayari in Hindi

 एक मतला ये है के 

ऐ अंधरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया !
माँ ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया !!

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बुलंदियों का बड़े से बड़ा मुक़ाम छुआ !
उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ !!

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इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है !
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है !!

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यहाँ किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुका आई !
मै घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई !!

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उदास रहने को अच्छा नहीं बताता है !
कोई भी ज़हर को मीठा नहीं बताता है !!
कल देखा था अपने को माँ की आँखों में !
ये आईना हमे बुढ़ा नहीं बताता है !!

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बुलंदी देर तक किस सख्श के हिस्से में रहती है !
बहुत ऊंची ईमारत हर घरी खतरे में रहती है !!
बहुत जी चाहता है जां से हम निकल जाए !
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है !!

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ये कर्ज ऐसा है जो मै अदा कर ही नहीं सकता !
मै जब तक घर न लौटूं मेरी माँ सज़दे में रहती है !!

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मेरी ख़्वाइश है की मै फिर से फरिश्ता हो जाऊ !
माँ से इस तरह लिपट जाऊ की बच्चा हो जाऊ !!

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कम से काम मेरे बच्चो की ख़ुशी के ख़ातिर !
ऐसी मिट्टी में मिलाना की खिलौना हो जाऊ !!

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मुझको हर हाल में बख्शेगा उजाला अपना !
चाँद रिश्ते में नहीं लगता है मामा अपना !
मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आंसू !
मुद्दतो माँ ने नहीं धोया दुप्पटा अपना !!

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उम्र भर खाली यूं ही हमने मकान रहने दिया !
तुम गए तो मैंने दूसरे को यहाँ रहने दिया !!
मैंने कल सब चाहतो की किताबे फाड़ दी !
सिर्फ एक कागज़ पर लिखा शब्द माँ रहने दिया !!

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मुख़्तसर होते हुए भी जिंदगी बढ़ जायेगी !
माँ की आँखे चुम लीजिये जिंदगी बढ़ जाएगी !!

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यु तो मुझको सुझाई नहीं देता लेकिन !
माँ अभी तक मेरे चेहरे को पढ़ा करती है !!
 माँ की सब खूबियाँ बेटी में चली आई है !
मै तो सो जाता हु वो जगा करती है !!

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दुःख भी ला सकती है लेकिन जनवरी अच्छी लगी !
जिस तरह बच्चो को फुलझड़ी अच्छी लगी !!
रो रहे थे सब तो मै भी फुट फुट कर रोने लगा !
वरना मुझको बेटियों की रुख्सती अच्छी लगी !!

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ये  तेरे दामन में सितारें है तो होंगे ऐ फ़लक !
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी !!

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यहाँ भटकती है हवस दिन रात सोने की दुकानों में !
ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है !!

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बिछड़ कर भी मोहब्बत के ज़माने याद रहते है !
उजड़ जाती है महफ़िल और चेहरे याद रहते है !!
   शगुफ़्ता लोग भी टूटे हुए होते है अंदर से !            
बहुत रोते है वो जिनको लतीफ़े याद रहते है !!
और ख़ुदा ने ये सिफ़त दुनिया के हर औरत को दी है !
के वो पागल भी हो जाये तो बेटे याद रहते है !!

(शगुफ़्ता--- ख़ुशमिज़ाज )
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जा के लिपट जाता हु माँ से और मौसी मुस्कुराती है !
मै उर्दू में ग़ज़ल कहता हु तो हिंदी मुस्कुराती है !!
उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूंढती होगी !
तभी तो देख कर पोता को दादी मुस्कुराती है !!

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अब न मै कंघी बनता हु न मै चोटी बनता हु !
ग़ज़ल में आप बीती को मै जग बीती बनता हु !!
और ग़ज़ल वो सिनर्फ़े नाजुक है जिसे अपनी रफ़ाकत से !
वो मेहबूबा बना लेता है मै बेटी बनता हु !!

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मेरे आँगन के कलियों को तमन्ना साहजादो की !
और मेरी मुसीबत ये है की मै बीड़ी बनता हु !

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मुझे इस सेहर की लड़कियां आदाब करती है !
मै बच्चो की कलाई के लिए राखी बनता हु !!

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खुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे !
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे !!

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रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गयी !
खत नहीं आया जो बेटे का तो माऐ बुझ गयी !!

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लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती !
बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती !!

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मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है !
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है !!

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बर्बाद कर दिया हमे परदेश ने मगर !
माँ सबसे कह रही है की बेटा मजे में है !!

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धन्यवाद !!


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